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June 19, 2020

भारत-नेपाल सीमा पर तनाव, काली नदी के दोनों ओर लोगों की आवाजाही बंद

भारत-नेपाल सीमा पर तनाव, काली नदी के दोनों ओर लोगों की आवाजाही बंद


इन दिनों नेपाल सरहद पर बहुत चौंकाने वाली हरकतें चल रही हैं। धारचूला से 55 किलोमीटर आगे मालपा के पास नेपाली सेना ने पहली बार काली नदी के किनारे एक हेलीपैड बनाया है, जबकि कई टेंट भी लगा दिए हैं। इन नेपाली सेना के दर्जनों जवान तैनात हैं। पिछले कुछ समय से नेपाल काली नदी से जुड़े कुछ क्षेत्रों को अपना बताया जा रहा है। हाल में नेपाल सरकार ने संसद में इस संबंध में एक नया नक्शा पास किया है।

धारचूला नेपाल और चीन से लगने वाला सरहदी इलाका है। धारचूला से चीन सीमा की दूरी 80 किलोमीटर है जहां पर धारचूला लिपुलेख राजमार्ग का निर्माण हुआ है। लेकिन नेपाल की सीमा धारचूला से ही शुरू हो जाती है। धारचूला में काली नदी के आरप भारत और नेपाल की सीमा है। काली नदी के दूसरी तरफ नेपाल है जबकि एक तरफ भारत है तो दूसरी तरफ नेपाल है। काली नदी के आसपास के सैकड़ों गांव बस गए हैं। इन गांवों में आवाजाही के लिए कई झूला पुल बने हुए हैं। वर्तमान में लॉकडाउन और भारत-नेपाल सीमा पर तनाव की वजह से दोनों ओर लोगों की आवाज़जाही बंद है। भारत नेपाल सरहद पर एसएसबी की तैनाती है। इस सड़क पर एसएसबी के युवा पेट्रोलिंग करते नज़र आ जाते हैं।

नई सड़क पर काम

इन दिनों भारत-नेपाल सीमा के इस हिस्से में भारतीय फौज की गतिविधियों वाले भी कुछ तेज हुए हैं और नई बनी सड़क पर भी लगातार काम चल रहा है। दूसरी ओर नेपाल में भी बॉर्डर के पास हलचल तेज हुई है। कालापानी से लगभग 40 किलोमीटर पहले मालपा के पास नेपाल ने अपनी सीमा में एक पोस्ट बनाई है।

स्थानीय लोग बताते हैं कि यह पोस्ट लगभग एक सप्ताह पहले बनाई गई थी और इसके लिए कुछ लोगों को हेलिकॉप्टर से नदी के किनारे उतारा गया था। इधर भारत के कई गांव फोन नेटवर्क नेपाल का इस्तेमाल करते हैं बल्कि सिर्फ गांव के लोग ही नहीं, भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों के जवान भी नेपाल के सिम कॉर्ड ही इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि तवाघाट से ऊपर के इलाकों में कोई भारतीय मोबाइल नेटवर्क नहीं है । जबकि नेपाली नेटवर्क अच्छे से काम करता है।

आम दिनों में स्थानीय लोगों के कालापन जाने में कोई रोक टोक नहीं थी। बाहर से आए लोगों को जरूर यहां पहुंचने के लिए इनर लाइन परमिट लेना होता था जो धारचूला के एसडीएम जारी करते थे। भारत-नेपाल में सीमा विवाद शुरू होने के बाद न तो बाहरी लोगों को इनर लाइन परमिट जारी हो रहे हैं, न ही स्थानीय लोगों को कालापानी जाने दिया जा रहा है।

तनाव का लोगों पर असर

पिथौरागढ़ जिले के इस क्षेत्र में तीन घाटियाँ हैं - व्यास घाटी, दारमा घाटी और चौडा घाटी। ये तीन घाटियों के आसपास के दर्जनों गांव इस नई बनी सड़क से सीधा लाभान्वित हुए हैं, लेकिन इस सड़क के उद्घाटन के बाद भारत-नेपाल संबंधों में जो तनाव आए हैं, उसका सीधा प्रभाव भी इसी क्षेत्र के लोगों पर पड़ता है।

इस क्षेत्र में भारत और नेपाल की सिर्फ भौगोलिक सीमाएं ही लगभग नहीं आतीं बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई एकता भी गहराती चली जाती हैं। यहां का सामाजिक ताना-बाना नेपाल के साथ इस सुंदरता से गूंथा हुआ है कि आंतरिक सीमाएं सिर्फ राजनीतिक कार्शों पर बनीं घाताएं भर ही रह जाती हैं। कहा भी जाता है कि यहां लोगों का नेपाल के साथ है रोटी और बेटी का रिश्ता ’है। पांगला गांव के रहने वाले सोनू मर्तोलिया कहते हैं कि स्थानीय लोगों का नदी के दूसरे छोर पर बसे नेपाल में शादियां करना आम बात है।

सड़क बनना पर ऐतराज

अगर आप यहां रेडियो ऑटो-ट्यून करते हैं तो रेडियो पर नेपाली चैनल बजने लगता है। धारचूला के आस-पास नेपाली रेडियो स्टेशन खासे लोकप्रिय हैं। नेपाली संगीत जमकर सुना जाता है और यहाँ की बोली, भाषा से परंपराओं तक सभी नेपाल से बेहद मिलती-जुलती हैं। सांस्कृतिक समानता से इतर यहां बुनियादी जरूरतों के लिए भी लोग एक-दूसरे के देश पर निर्भर हैं। इसे हालिया सीमा विवाद से न जोड़ते हुए ये लोग बताते हैं कि यह पोस्ट इसलिए बनी हुई है क्योंकि नेपाल यहां एक पैदल रास्ता बना रहा है।

इस बारे में एक शख्स ने कहा, जब ये सड़क बन रही थी तो कई जगह मशीनें पहुंचाना इतना मुश्किल था कि ये मशीनें नेपाल की सीमा से दूर आगे पहुंचाई गईं। तब नेपाल ने कोई आपत्ति नहीं जताई कि सड़क क्यों बन रही है। अब हमने टीवी में सुना कि भारत-नेपाल के बीच तनाव बढ़ रहा है। यहाँ तो कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ। कहने को ये बॉर्डर है पर कभी महसूस ही नहीं हुआ।

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